mcd
– फोटो : amar ujala
विस्तार
आप और भाजपा दोनों ही मेयर और डिप्टी मेयर के प्रत्याशी दोहरा सकते हैं। बुधवार को मेयर, डिप्टी मेयर चुनाव की अधिसूचना जारी होगी। साथ ही नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 18 अप्रैल नामांकन की आखिरी तारीख होगी। आखिरी वक्त में ही दोनों पार्टियों की ओर से नामांकन दाखिल किए जाने की संभावना है। 26 अप्रैल को सदन की पहली बैठक में मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव होने हैं। मेयर शैली ओबरॉय का कार्यकाल 31 मार्च को समाप्त हो गया है।
मेयर चुनाव की तारीख का एलान होते ही निगम मुख्यालय सिविक सेंटर में भी सरगर्मी बढ़ गई है। आम आदमी पार्टी के पार्षदों की मानें तो शैली ओबरॉय का दोबारा मेयर प्रत्याशी बनना तय है। वहीं मेयर चुनाव के परिणाम को लेकर स्थिति पूरी तरह साफ दिखती है, लेकिन राजनीतिक हलके में चर्चा है कि अगले वर्ष लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा अपना मेयर बनाने की पूरी कोशिश करेगी।
बहुमत का आंकड़ा आप के पक्ष में
मेयर चुनाव के लिए कुल 274 मतों में से 150 वोट अभी आप के पक्ष में हैं, जबकि 116 वोट भाजपा के पास हैं। बीते वर्ष सात दिसंबर को निगम के 250 वार्डों के चुनाव हुए थे। इसमें आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की थी और एमसीडी में 15 साल तक लगातार सत्ता में रहने वाली भाजपा को मात दी थी। आप को 134 सीटों पर जीत मिली थी, भाजपा 104 सीटों पर सिमट गई थी। कांग्रेस को नौ सीटें ही मिली थीं। तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे। 22 फरवरी को मेयर, डिप्टी मेयर के चुनाव में आप प्रत्याशी शैली ओबरॉय मेयर और आले इकबाल डिप्टी मेयर चुने गए थे। इसके बाद ही बवाना वार्ड से आप पार्षद रहे पवन सहरावत ने भाजपा का दामन थाम लिया था।
भाजपा खेमे में भी बढ़ी सक्रियता
एमसीडी में आम आदमी पार्टी का बहुमत है लेकिन सूत्रों की मानें तो मेयर के चुनाव को लेकर भाजपा खेमे में सक्रियता बढ़ गई है। भाजपा की सक्रियता आप के लिए मुसीबत से कम नहीं है। यदि भाजपा आप के करीब दो दर्जन पार्षदों को तोड़ने में कामयाब होती है तो लोकसभा चुनाव में इसका बड़ा संदेश जनता के बीच जाएगा और फिर सीएम अरविंद केजरीवाल की चुनावी योजनाओं की राह आसान नहीं होगी। फिलहाल भाजपा के लिए आप के पार्षदों को तोड़कर अपने पाले में लाना आसान नहीं है क्योंकि आप-भाजपा दोनों पक्षों के ज्यादातर पार्षद अपनी-अपनी पार्टी के प्रति तटस्थ दिख रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ ये भी उतना ही सत्य है कि एमसीडी की राजनीति में कभी भी पार्षदों का दल-बदल कर लेना सामान्य सी बात है क्योंकि निगम पार्षदों पर दल बदल कानून लागू नहीं होता।